Someone asked me to call him if I am a brahmin. Well. No. I am not any brahmin. Neither Hindu. Nor Muslim or Buddhist. Not even atheist. बड़ी मुश्किल से निकला हूँ जातिवाद में से। नहीं हूँ ब्राह्मण या श्री वैष्णव। नही बनना मुझे यह सब। दिखावा है। आडम्बर। अगर किसी से कोई नाता है तो इंसानियत का। बाकी तो आता जाता रहेगा। इस जन्म में हिन्दू श्री वैष्णव के घर पैदा हुआ। क्या जाने अगले जन्म में किसी मुसलमान के घर पैदा हो जाऊँ। तब क्या करूंगा? कोई भी क्या करेगा? धर्म, जाति, लिंग, देह - सब माया है। उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति होनी चाहिए। ऐसा कोई नियम नही है किंतु मुक्ति चाहिए तो कुछ करना ही पड़ेगा। कुछ ऐसा करें कि पाप और दुष्कर्म का फल कम हो। कर्म और कर्म फल के बीच ईश्वर भी नहीं आते। यदि पाप हुआ है तो दंड भी मिलेगा। इस जन्म में न सही तो अगले जन्म में। आप अधिक से अधिक, उस कर्मफल को टाल सकते हैं। लेकिन फल तो मिलेगा। अवश्य मिलेगा। आपको क्या लगता है? क्या श्रीकृष्ण चाहते तो महाभारत रुक नहीं सकता था? रोकना नहीं चाहे। अभी के लिए बस इतना ही। जय माता की, ~ Arun Kumar 26/09/17 - 1444 hours (IS
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